Painless Normal Delivery यानि बिना दर्द के नार्मल डिलीवरी भी होती हैं ये बात भारत (India) में अधिकतर लोगो को नहीं पता हैं।
आजकल लगभग 50% सिजेरियन सेक्शन (Cesarean Section) जो होते है वह प्रसव पीड़ा (labor pain) सहन न होने के कारन होते है और ये दर्द (Pain) सहने के लिए मेडिकल साइंस के पास बहुत ही अच्छा Tool है जिसका नॉर्मल डिलीवरी के दौरान उपयोग किया जा सकता है वह है पैंलेस लेबर (Painless labor) यानि बिना दर्द के नार्मल डिलीवरी (Painless Normal Delivery)।
जब पेनलेस लेबर के बारे में लोगो को पता चलता है तो लोग ये गलत समज लेते है की पेनलेस लेबर (Painless Labor) यानि सिजेरियन सेक्शन (Cesarean Section)।
मैं जब माँ बानी थी तब मेरी डिलीवरी पैंलेस लेबर (Painless Labor) से हुई थी। तो मुझे जो जानकारी है पैंलेस लेबर (Painless Labour) के बारे में और मेरा इसके साथ का Experience में आपके साथ शेयर कर रही हु। आशा करती हु की आपको इससे लाभ होगा।
पैंलेस (Painless) या बिना दर्द के नार्मल डिलीवरी (Bina Dard Ke Normal Delivery) होता क्या है?

पैलेस डिलीवरी ये सुनकर लोग विश्वास ही नहीं करते, क्युकी लोगो का कहना है की नॉर्मल डिलीवरी होनी है तो दर्द तो होना ही है, परंतु मेडिकल साइंस बहुत ही एडवांस (Advanced) हो चूका है।
अभी बहुत सारे मेडिसिन (Medicine), मेडिटेशन (Meditation), फिजियोथेरेपी (Physiotherapy) और एपीड्यूरल एनलजेसिआ (Epidural Analgesia) ये बहुत सारे उपाय आए है जिसके कारण डिलीवरी सच में बिना दर्द के यानि पैंलेस (Painless) हो सकती है।
इन सब में से एपीड्यूरल (Epidural) से प्रसव यानि एपीड्यूरल एनलजेसिआ (epidural Analgesia) ये सबसे इफेक्टिव (Effective) यानि प्रभावी पेनलेस डिलीवरी (Painless Delivery) का उपाय है। इसकी मदत से गर्भवती माँ का दर्द कम किया जाता हैं।
इसमें Uterus यानि गर्भाशय के जो कॉन्ट्रेक्शन (Contraction) होते है, जो डिलीवरी की प्रक्रिया होती है वह अपने आप शुरू रहती है परंतु पीठ में से ब्रेन (Brain) को जो सिग्नल (Signal) पोहचते है वह कम किये जाते हैं, जिसके कारण गर्भवती माँ अपने प्रसव (Delivery) का आनंद ले सकती है और डेलिवरी की प्रक्रिया में Actively Participate यानि सक्रिय रूप से भाग लें सकती है। क्योंकि लेबर Pain तो होते है परंतु इसकी समज कम हो जाती है उससे माता की सहन शक्ति बढ़ जाती है।
बिना दर्द के नार्मल डिलीवरी कैसे होती है? | Bina Dard Ke Normal Delivery Kaise Hoti Hai?

एपिडुरल एनलजेसिआ (Epidural Analgesia) क्या होता हैं: Epidural Kya Hota Hai?
जब गर्भवती माँ को प्रसव यानि नॉर्मल डिलीवरी (Normal Delivery) का दर्द (Labor Pain) बर्दाश्त नहीं होता है तब एपीड्यूरल एनलजेसिआ (Epidural Analgesia) का उपयोय किया जाता हैं। इसमें जो एपीड्यूरल (Epidural) का इंजेक्शन (injection) जो होता है, वह रीड की हड्डी के बिच में जो स्नायु होता है जिसे एपीड्यूरल स्पेस (Epidural Space) कहते है इसमें दिया जाता है। एपीड्यूरल स्पेस (Epidural Space) में एक छोटासा कैथिटर (Catheter) रखा जाता है जिसकी मदत से निरंतर दवाई दी जाती है, जबसे दवाई दी है तब से लेकर डिलीवरी होने तक गर्भवती माँ का दर्द कम करते है और डिलीवरी होने के बाद ये कैथिटर (Catheter) निकाल दिया जाता है।
प्रसव (Normal Delivery) के समय हमे जो पुश (Push) करना होता है वह हम कैसे करेंगे और डिलीवरी कैसे नॉर्मल होगी ?
अधिकतर गर्भवती महिलाओ की धारणा रहती है की हमे डिलीवरी के दौरान दर्द ही नहीं रेहेंगा तो हम पुश (Push) कैसे करेंगे, हमे जो नॉर्मल डिलीवरी (Normal Delivery) में पुश (Push) करना होता है वह हमे कैसे समज में आएगा और डिलीवरी कैसे होगी।
एपीड्यूरल (Epidural) की जो दवाइयां दी जाती है वह बहुत एडवांस (Advanced) हो चुकी है। एपीड्यूरल कैथिटर (Epidural Catheter) जो पीठ में डालते है उससे दवाइयों की मात्रा नियंत्रित कर सकते हैं। जिसे नियंत्रित करके गर्भवती माँ के दर्द के अनुसार ही उसकी दवाइया दी जाती है जिस कारण माता का गर्भाशय और निचे वाला योनि भाग उतना ही सुन होता है और Patient के पैर, हात बाकि सब चुस्त होते है।
पैंलेस इंजेक्शन फॉर नार्मल डिलीवरी : क्या एपीड्यूरल एनलजेसिआ (Painless Delivery Injection) देते समय और देने के बाद तकलीफ़ होती है ?

सब गर्भवती स्त्री का मानना रहता है की यह एपीड्यूरल एनलजेसिआ (Epidural Analgesia) रीड के हड्डी में एक इंजेक्शन (injection) देना इससे लकलीफ़ तो जरूर होगी, दर्द तो जरूर होगा, तो मुझे बाद में दर्द होजाएगा।
लेकिन जो एपीड्यूरल (Epidural) का इंजेक्शन (injection) देते है वह रीड की हड्डी में ना देके जो दो रीड की हड्डी के बिच में जो स्नायु होता है उसमें देते है। Labor Pain यानि प्रसव के दर्द के सामने ये दर्द मामूली होता हैं।
तो जो आमतौर पर लोगो की धारणा है की डिलीवरी में एपीड्यूरल (Epidural) लेने के बाद मुझे पीठ में दर्द हुआ ये सरासर झूठ है। क्युकी एपीड्यूरल (Epidural) लेने वाली स्त्रिया और एपीड्यूरल (Epidural) बिना लिए हुए नॉर्मल डिलीवरी वाली स्त्रियों में दोनों में ही पीठ का समान दर्द रहता है।
Epidural Painless Normal Delivery Side Effects (In Hindi)
एपीड्यूरल एनलजेसिआ (Epidural Analgesia) की दवाइया ब्लड (Blood) में कोई भी अब्सॉर्ब (Absorb) नहीं होती है। जिसका माँ के खून पे और बच्चे पे कोई Impact यानि प्रभाव नहीं होता है। यह बहुत ही सुरक्षित प्रकार (Safe Type) की पैंलेस डेलिवरी (Painless Delivery) की प्रक्रिया है।
एपीड्यूरल एनलजेसिआ (Epidural Analgesia) ये जो पैंलेस डिलीवरी (Painless Delivery) की मेडिकल प्रेक्टिस (Medical Practice) है यह बहुत सालो से चली आरही है। विदेशों (Foreign Countries) में पैंलेस नॉर्मल डिलीवरी ज्यादा की जाती हैं और इसका कोई साइड इफ़ेक्ट (Side effect) भी नहीं है न बच्चे पे न माँ पे।
पैंलेस डिलीवरी कॉस्ट (Painless Delivery Cost In India)

Painless Delivery की जो कॉस्ट (Cost) होती हैं वह आमतौरपर नॉर्मल डिलीवरी के कॉस्ट जितनी ही होती हैं। सिर्फ आपको एपीड्यूरल एनलजेसिआ (Epidural Analgesia) के एक्स्ट्रा चार्जेस (Extra Charges) देने होते हैं। Extra Charges के आपको कम से कम 4000-5000 रुपये देने पढ़ सकते हैं और ज्यादा से ज्यादा बाकि आप कोनसे हॉस्पिटल में डिलीवरी कर रहे हैं उसपे कॉस्ट डिपेंड (Depend) होती हैं।
बिना दर्द के प्रसव या पैंलेस नार्मल डिलीवरी टिप्स (Painless Normal Delivery Tips In Hindi)
- अगर आप पैंलेस नॉर्मल डिलीवरी करना चाहते हैं तो आप डिलीवरी के कुछ दिन पहले ही अपने डॉक्टर से सारि जानकारी ले ले क्युकी डिलीवरी करणे वाले डॉ. अलग होते है और एपीड्यूरल (Epidural) देने वाले डॉक्टर दूसरे होते हैं।
- आप एपीड्यूरल एनलजेसिआ (Epidural Analgesia) जिस भी डॉक्टर से लगवाए तो ये जरूर निश्चित कर ले की वह लेबर अनेस्थेसिआ ( Labor Anesthesia) में एक्सपेरिएंस (Experience) डॉ . होने चाहिए।
- डिलीवरी के बाद आपको 6 महीनो तक रोज कैल्शियम (Calcium) के टेबलेट (Tablet) लेना हैं, उससे आपको पीठ के दर्द की समस्या नहीं होंगी।
यदि आपके मन में इस विषय में कुछ संदेह (Doubts) रहेंगे कुछ शंकाए रहेंगी तो Comment बॉक्स में जरूर लिखिए हम आपकी शंकाओ का उत्तर देने की जरूर कोशिश करेंगे।
अधिकतर पूछे जाने वाले सवाल (Frequently Asked Questions In Hindi)
डिलीवरी के समय का दर्द यह व्यापक रूप से महिला और गर्भावस्था पे निर्भर होता है। सभी महिलाओं को प्रसव पीड़ा अलग तरह से अनुभव होती है।
कुछ महिलाओं के लिए, यह मासिक धर्म (Periods) में ऐंठन (Cramps) जैसा दर्द होता है, तो किसी महिलाओ के लिए गंभीर दबाव जैसा दर्द होता है और बाकि महिलाओ के लिए अत्यंत मजबूत लहरें जैसे ऐंठन की तरह दर्द महसूस होता हैं।
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बच्चा जब तक गर्भाशय में बढ़ा हो रहा होता हैं तब तक बच्चेदानी का मुंह बंद रहता हैं। जब डिलीवरी का समय आता है और प्रसव पीड़ा जब शुरू होती है तब बच्चेदानी का मुंह धीरे धीरे खुलता हैं।
तो ये थी बिना दर्द के नार्मल डिलीवरी के बारे में जानकारी। मुझे उम्मीद है की आपको ये लेख पसंद आये और आशा करती हूँ आपको इससे लाभ होगा।
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